वर्तमान में सारी दुनिया कोविड-19 ;कोरोना नामक नई महामारी से जूझ रही है। जहाँ तक जानकारी है, यह वायरस पहली बार चीन में सन 2019 में पाया गया और वहीं से सारी दुनिया में फैला। जैसा कि जानकार बता रहे हैं, खाँसी, जुकाम और तेज बुखार इसके लक्षण हैं, और इस महामारी में फेफड़ों पर सीधा हमला होता है, श्वसन तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है, समय पर इलाज नहीं मिलने और अधिक फैलने पर मरीज मर जाता है। इससे बचने का जो सशक्त और कारगर तरीका है, वो यही है कि व्यक्ति एक दूसरे से कम से कम एक मीटर दूर रहे, छुए नहीं और छींकते, खाँसते समय मुँह पर रुमाल रखे और मास्क लगाये, खासतौर पर तब, जब वह घर से बाहर निकले। आँख, मुँह और चेहरे को बार-बार न छुए व बार बार हाथों को साबुन से धोये, सेनेटाईज करे, आदि।
इस प्रकार ये कोविड-19 महामारी से जुड़ी कुछ आम बातें हैं।
भारतीय जन-मानस में न जाने क्या बात है कि किसी बात को गम्भीरता से लेता ही नहीं है। उसको हौवा बनाकर रख देते हैं या फिर टोने-टोटके ढूंढने लग जाते हैं। कोविड-19 को लेकर भी ऐसे कितने ही ऊटपटांग काम लोगों ने किये, अभी भी कर रहेंगे और न जाने कब तक करते रहेंगे और क्या-क्या करवायेंगे!
शासन-प्रषासन द्वारा 22 मार्च 2020 को देश में जनता कर्फ्यू और अगले ही दिन से लॉक-डाउन की घोषणा की गई। राजस्थान में तो 20 मार्च से ही लॉक डाउन कर दिया गया था। कई जिलों की सीमायें सील कर दी गई। प्रधानमंत्री की अपील पर 29 मार्च को कोरोना वॉरियर्स का हौंसला बढ़ाने के लिये देष भर ने शाम को 5 बजे तालियां, थालियां, घण्टे-घड़ियाल और न जाने क्या-क्या बजाया, बम-पटाखे तक चलाये गये जबकि देश में रोज कोरोना से मौतें हो रही थी। एक ऐसा माहौल बनाया गया कि यह अपील ही हास्यास्पद हो गई, जैसे कि कोरोना भारत से लुप्त ही हो गया हो। जबकि बड़ा खतरा आना अभी बाकी था।
जो कार्य उस समय किये जाने चाहिये थे, वे नहीं किये गये। लॉकडाउन पूर्ण तैयारी के साथ और थोड़ा पहले लगना चाहिये था। लेकिन केन्द्र सरकार को तैयारी की फुरसत कहाँ? चार मार्च तक इटली में 3127 व्यक्तियों की कोरोना से मौत हो चुकी थी भारत में 13 मरीजों की पुष्टि हो चुकी थी। लेकिन केन्द्र सरकार मध्य प्रदेश में कॉंग्रेस के विधायकों को उनकी पार्टी से तोड़ अपनी सरकार बनाने में व्यस्त थी। चार मार्च को 228 सदस्यों वाली मध्यप्रदेश विधानसभा के 114 कॉंग्रेसी विधायकों में से छह विधायक भाजपा के खेमें में चले गये। राजनैतिक नाटकबाजी चली और अन्त में भाजपा ने जोड़-तोड़ करके 20 मार्च को अपनी सरकार बना ली। इसी दिन से राजस्थान में सम्पूर्ण लॉकडाउन किया गया। 19 मार्च को प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से कहा कि 22 मार्च को कोरोना वॉरियर्स के प्रति ताली, थाली और घण्टी बजा कर कृतज्ञता प्रकट करें। जब ऐसा लगने लगा कि ताली, थाली से कुछ नहीं होने वाला और मध्यप्रदेष का रास्ता भी साफ हो गया 31 मार्च तक सम्पूर्ण लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। धीरे-धीरे देश के अन्य राज्यों में भी लॉकडाउन लागू किया गया, और चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया गया।
दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन दरगाह में मजमा चार माह से चल रहा था। जब कोरोना के मरीज सामने आने लगे, तब भी यह चालू रहा और जब इनको इनके राज्यों में भेजा जाने लगा, तो राज्यों के हालात बद से बदतर होने लगे और कोरोना का कहर आज तक जारी है। लेख लिखे जाने तक दुनिया भर में दो लाख से अधिक व्यक्ति काल-कवलित हो चुके थे।
क्या इसके लिये मात्र इस प्रोग्राम में शामिल मुस्लिम ही जिम्मेदार हैं? जो साधन-संसाधन सरकार अब काम ले रही है, उन्हें तब काम में क्यों नहीं लिया गया ? अब घर-घर से ढूंढ-ढूंढ कर संक्रमितों को लाया जा रहा है और इलाज कराया जा रहा है। यदि कोई खुद मरना चाहता है और दूसरों को भी मारना चाहता है तो क्या उसे मरने के लिये छोड़ा जा सकता है? क्यों नहीं उसके खिलाफ आत्महत्या व जनहानि के प्रयास का केस दर्ज कर कार्रवाही की गई?
पाँच अप्रेल 2020 को प्रधानमंत्री की अपील पर लोगों ने रात को 9 बजें घर की लाईटें बंद कर टार्च की रोशनी की, दीपक और मोमबत्तियां भी जलाई। कारण बताया कि इससे कोरोना से जूझ रहे लोगों में ऊर्जा का संचार होगा।
पता नहीं कहाँ-कहाँ से ऐसे टोटके ढूंढ कर लाये जाते हैं! दीपक रोशनी करने व अंधकार को भगाने के लिये काम लिये जाते हैं। इस युग में, जबकि रोशनी के एक से बढ़ कर एक साधन मौजूद हैं, तब भी लोग उनको बंद करके पुरातन दीपक जला रहे हैं और यह और कह रहे हैं, इससे ऊर्जा का संचार होगा! तो फिर बड़े-बड़े पावर ग्रिड बंद कर दीपक ही जलाओं न। इससे बिजली विभाग की परेशानी अचानक बढ़ गई क्योंकि उत्पादन होते रहने और सप्लाई नहीं होने से पावर स्टेशन में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
वास्तविकता यह थी कि 6अप्रैल 1980 को स्थापित हुई भारतीय जनता पार्टी का 5 अप्रैल 2020 को चालीसवें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या थी और इसी दिन अयोध्या में राम मंदिर में पूजा की शुरुआत थी।
अतः इस दिन के महत्त्व को कायम रखने के लिये दीये जलवाये गये। हाल ही में 24 अप्रैल को पंचायत राज दिवस पर कोरोना का सबक आत्मनिर्भरता और लड़ने का मंत्र दो गज की दूरी बताया है।
केन्द्रीय चिकित्सा राज्य मंत्री का बयान तो और भी हास्यास्पद है। दैनिक भास्कर भीलवाड़ा के शुक्रवार 20 मार्च के अखबार में छपा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्वनि कुमार चौबे ने कहा कि ’कोरोना से बचाव के लिये लोग धूप में खड़े होने की कोशिश करें, इससे सभी प्रकार के वायरस मर जायेंगे। सुबह 11 बजे से 2 बजे तक तेज धूप निकलती है। कोशिश शुरू करनी चाहिये कि 10-15 मिनट तक धूप सेंके, इससे विटामिन डी मिलता है और हमारी रोग प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ती है और कई तरह के वायरस खत्म हो जाते हैं।
इस बयान को कोई भी पढ़े, तो मुस्कुराये बिना नहीं रह सकता है। धूप में खड़े होने से रोग प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ती है, यह सर्वविदित है। इससे शरीर के बेक्टीरिया वायरस आदि भी दूर हो सकते हैं, लेकिन कोरोना से बचने का यह पक्का उपाय नहीं है। ’सभी प्रकार के वायरस इससे मर जायेंगे’ यह और भी हास्यास्पद है, अन्यथा अरबों रुपये खर्च कर क्वारेन्टाइन सेण्टर बनाने की आवश्यकता कहाँ थी, मरीजों को रोज घण्टा-दो घण्टा फ्री की धूप दे दी जाती!! जिस देश के ऐसे चिकित्सा मंत्री होंगे, वहाँ स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा, आसानी से अंदाज लगा सकते हैं।
जिस विचारधारा से केन्द्रीय सरकार जुड़ी हुई है, उन्हीं की पार्टी हिन्दू महासभा ने नया इलाज़ ढूंढा है। रविवार, दिनांक 15 मार्च 2020 के दैनिक भास्कर में छपा है कि अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणी महाराज ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि जो विदेशी नागरिक भारत आता है, उसे पहले एयरपोर्ट पर गोमूत्र पिलाया जाये, उसके बाद उसे गौबर से स्नान कराया जाये। फिर देश में घूमने की इजाजत दी जाये। संगठन ने दिल्ली में शनिवार 14 मार्च 2020 को गोमूत्र पार्टी भी की, जिसमें करीब 100 लोग शामिल हुए।लोगों को कुल्हड़ से गौ मूत्र पीते देखा गया।
गौ मूत्र सेवन से कोरोना ग्रस्त के ठीक होने का रिसर्च किस विश्वविद्यालय में कब और किन वैज्ञानिकों ने किया और इसकी कितनी विश्वनीयता है? यदि यह ब्रह्म ज्ञान पहले से था तो मानवता के नाते सब देशों को बता देना चाहिये था ताकि लाखों लोग इस महामारी से काल-कवलित नहीं होते! क्या यह स्वार्थ नहीं है कि जो ज्ञान दुनिया को इस भयानक महामारी से बचा सकता था, उसे आपने छिपाये रखा और खुद को बचाने के लिये अकेले-अकेले गाय का मूत पीते रहे?
इसी खबर पर विश्वास कर कोलकाता में भाजपा कार्यकर्ता नारायण चटर्जी ने जोरसाखो में 15 मार्च 2020 सोमवार को गो पूजा कार्यक्रम आयोजित कर गोमूत्र वितरित किया था, जिसे पीने से एक स्वयंसेवक बीमार पड़ गया। नारायण चटर्जी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
इसी प्रकार गैर सरकारी स्तर पर भी कितने ही टोटके लोग रोज कर रहे है। जयपुर के किसी गाँव के एक व्यक्ति का वीड़ियों प्रचार में आया जिसमें उसने कहा कि उल्लू, जिसे राजस्थान में घुग्घू भी कहते हैं, पर हाथ फेर कर कोरोना वायरस ग्रसित मरीज पर वही हाथ फेरने से वह मरीज ठीक हो जायेगा ! कितने ही लोग उल्लू बने और कितनों को उल्लू बनाया। जब पुलिस से पाला पड़ा, तो उस व्यक्ति को बयान वापस लेना पड़ा।
दिनांक 4 अप्रैल 2020 को ही न्यूज 18 राजस्थान पर एक ज्योतिषी पं. मुकेश भारद्वाज की वार्ता आ रही थी जो अंक शास्त्र और ज्योतिष से दीया जलाने को सही ठहराने और इसका महिमा मण्डन करने का प्रयास कर रहे थे और दीया संकल्प का सूर्य और चन्द्रमा से सम्बन्ध बता रहे थे। कह रहे थे कि रविवार 5 अप्रैल 2020 को रात्रि 9 बजे का मतलब सूर्य और मंगल का संगम होगा। 9 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से कोरोना वायरस पर असर पडेगा, आदि।
हद होती है बचकाने की!! जे बीमारी दुनिया में पहली बार आई है और जिसका सही इलाज बड़े-बड़े डॅाक्टर अभी तक नहीं ढूंढ पाये है, ये न जाने कहाँ से अपना रिसर्च कर लाये! अगर अपनी विद्या पर इतना भरोसा है तो दावा क्यों नहीं करते कि ज्योतिष के अनुसार अमुक तिथि, वार या दिनांक को यह-यह कार्य करने से कोरोना वायरस बिलकुल समाप्त हो जायेगा और यदि नहीं होता है, तो हम आजीवन अपनी विद्या को त्याग कर विज्ञान की शरण में आ जायेंगे।
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी सेनेटाइजर पीने से कोरोना वायरस के खात्में की बात कही थी। कुछ लोगो ने पीया भी था जिनमें से 30 की हालत खराब हो गई।
अतः जनता को सब तरफ से सावधान व जागरुक रहने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र के डॉक्टर्स जो बतायें, वही पालन करना है। नीम हकीम खतरे जान होता है।
-श्याम सुन्दर बैरवा
प्रतिकात्मक फोटों गुगल से साभार