दोस्तों आज मै आप सभी का ध्यान एक विशेष मानसिक बिमारी की और आकृष्ट करना चाहूंगा...यह एक मानसिक बिमारी है किन्तु अशिक्षा ,अज्ञान और घोर अंधविश्वास के चलते न केवल अशिक्षित लोग बल्कि पढ़ें लिखे लोग भी इसके फेरे मे पढ़ जाते है ... दोस्तों आज मै बात कर रहा हूं ( HISTERIA )... हिस्टीरिया की जिसे CONVERSION DISORDER भी कहते है..यह एक प्रकार से दौरे की अवस्था होती है जो बहुत कम समय के लिए होती है गांवों मे इसे """मिर्गी का दौरा , किसी देवीय आत्मा का शरीर मे प्रवेश या परिवार के किसी मृत व्यक्ति की आत्मा का प्रवेश जिसे सामान्यतः पित्र दोष का आवरण पहनाकर प्रस्तुत किया जाता है !
मित्रों यह हिस्टीरिया नाम हिस्टर शब्द से बना है जिसका अर्थ है तनाव की अवस्था में आने वाला दौरा ..यह दौरा तनाव की स्थिति में आता है और तनाव दूर करने के लिए आता है ।
यह अलग बात है की घोर अंधविश्वास के चलते कुछ लोगों ने इसे कमाई का जरिया भी बना लिया है।
हिस्टीरिया के लक्षणः
1. संबंधित पेशेंट का चिखना-चिल्लाना
2. शरीर का ऐंठ जाना
3.सांस लेने मे कठिनाई होना
4.शरीर को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश करना इस स्थिति मे व्यक्ति को दर्द का बिल्कुल अनुभव नही होता जिसके कारण देखने वाले व्यक्ति के लिए ये बेहद मानसिक रूप से प्रभावित करता है ।
5.बहुत तेज आवाज में हंसना
6.अत्यधिक शक्ति या बेहोशी की अवस्था मे आ जाना ।।
तो मित्रों इस तरह यह एक मानसिक बिमारी है जो सामान्यतः महिलाओं में अधिक पायी जाती है क्योंकि वे अतिसंवेदनशील होती है किन्तु कभी कभी ये उन पुरुषों मे भी देखी जा सकती है जो संवेदनशील होते हैं ये एक प्रकार से अपने तनाव को दूर करने ,दूसरो की सहानुभूति प्राप्त करने या दूसरो को बेवकूफ बनाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने का कारण मात्र होता है।
हिस्टीरिया का कारणः
1.मानसिक बिमारी जो तनाव के कारण उत्पन्न होती है
2.कोई पूर्व का सदमा या मानसिक आघात
3.दांम्पत्य जीवन में परेशानी जिसमे बहुधा शारीरिक संबंधों की संतुष्टि न होना
4. धन की तंगी व महत्त्वकांक्षी होना
5.दमित कामुक इच्छाएं
हिस्टीरिया का उपचारः
दौरे के समय व्यक्ति के कपड़े ढीले करे ,हवादार जगह पर लिटाये
2.पैरो को ऊपर रखें जिससे रक्त संचार बढ़े
3.इसके बाद संबंधित पेशेंट को साइक्लोजिस्ट के पास ले जाये ताकि वह मनोवैज्ञानिक उपचार कर सके रोग के मूल मे जा सके।इसके लिए वह BEHAVIOUR THERAPY का प्रयोग कर सकता है
एक मनोवैज्ञानिक सलाहकार होने के नाते मैं यह सलाह दूंगा कि यह कोई देवीय शक्ति नहीं है ,ना ही यह कोई पित्र दोष है बल्कि यह तनाव दूर करने के लिए या तनाव या डर या सहानुभूति प्राप्त करने का एक प्रयास होता है जिसे सामान्यतः लोग समझ नहीं पाते और न उसका इलाज करवाते है बल्कि उसे पाखंड का जामा पहनाते हुए उसकी पूजा पाठ करते है ...
मुझे उम्मीद है .. ये जानकारी लोगों का अंधविश्वास दूर करने में मदद अवश्य करेंगी ।
डॉ.द्वारका प्रसाद बुनकर
मनोवैज्ञानिक सलाहकार
मो.नः +91 6350502295