बेबस है मजदूर देश का,
लाॅकडाउन का मारा है।
जब छिन गया रोजगार हाथों से,
तब घर चलना स्वीकार किया।
नाप लिया है लम्बे पथ को,
बड़ा गुरूर भारी था जिसको ।
तन से देकर कठिन परीक्षा,
विजय श्री ही पाई है...।
प्राण निकल गए तन से चाहे,
फ़िर भी हार नहीं मानी है।
हिला न सकी जिसको विपदाएं,
शत्रु बन गई रेल औरंगाबाद की।
फिर भी धुन के पक्के है,
न हारा है न हारेंगे कभी।
ये वादा जैसा निभा रहे,
बेबस है मजदूर देश का...
लाॅकडाउन का मारा है...।
सत्ता वालो रहम करो तुम,
जो कठिन विपत्ति आई है।
गर पड़ी कड़ी कमजोर इनकी
मजबूत राष्ट्र बन नहीं पायेगा।
पंगु बन कर निहारोगे फिर भी,
ये पुनः खड़ा नहीं हो पायेगा।
चला बन्दे भारत अभियान अमीरों का तो
बेबस मजदूरो के लिए तुम कोई अभियान चलाओ तो
बेबस है मजदूर देश का,
लाॅकडाउन के मारा है....।
-जुगराज जुगनू