डिप्रेशन (तनाव ) के लक्षण ,कारण और उपचार तथा आज के समय मे खाली समय का सदुपयोग.....
लक्षण :
1.तनाव मनोविज्ञान मे उदासी की अवस्था को कहा जाता है ,तब प्रश्न ये भी उठता है कि उदास तो बहुत से लोग रहते है...तब उदासी का प्रमुख मनोवैज्ञानिक लक्षण ये है की इस उदासी मे व्यक्ति सामान्य उदासी से अधिक उदास रहता है और दो से तीन हफ्ते तक रहता है ,
2. दुसरा प्रमुख लक्षण ये है की व्यक्ति की समस्त रुचियां या रुचिगत क्षेत्र अपनी शिथिल अवस्था में आ जाती है अर्थात उसे किसी कार्य मे रुचि नही रहती उसे किसी कार्य में आनंद नही आता भले ही तनाव से पुर्व वह बहुत से रुचिकर कार्य क्यों न कर रहा हो ,
3. तीसरा लक्षण व्यक्ति में नकारात्मकता की प्रवृत्ति बढ़ जाती है उसे हर कार्य में नकारात्मकता ही दिखती है फलस्वरूप वह किसी कार्य को करने से डरने लगता है ।
4. इसके व्यक्ति मे कुछ न कुछ गिल्टी की भावना घर कर लेती है जिससे वह दूसरे लोगों से बचने लगता है ,उन्हे गलत समझने लगता है
5. अगर डिप्रेशन में बायलोजिकल या फीजियोलोजिकल लक्षणों कि बात करे तो व्यक्ति मे भुख की तेजी से कमी होने लगती है उसे काफी देर तक भुख का अहसास होने लगता या हो सकता है उसे समझा कर भोजन खिलाना पड़े ।
6 . इसके अतिरिक्त व्यक्ति मे नींद की कमी हो जाती है उसे अक्सर नींद नही आती या फिर टुकड़ों मे आने लगती या फिर वह तय समय से पहले ही व्यक्ति जाग उठता है ।
कारण :
बायलोजिकल कारणों मे प्रत्येक व्यक्ति मे हार्मोन बनते है किसी कारणवश जब इन हार्मोन मे अस्थिरता आती है तो व्यक्ति मे डिप्रेशन या तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
यदि तनाव के मनोवैज्ञानिक कारणों की बात की जाए तो व्यक्ति को जीवन से जुड़ी असामान्य घटना जैसे नोकरी का छुट जाना या छुटने का डर , पारिवारिक कारणों मे संबंधों मे तनाव या सम्मान की कमी होना या फिर ego (अहम) की भावना उत्पन्न होना या हीन भावना उत्पन्न होना या तिरस्कार करना या एक दूसरे के प्रति त्याग की भावना न होना तनाव के लिए जिम्मेवार होता है ।
उपचारः
तनाव के यदि उपचार की बात की जो ये तनाव की स्थिति पर निर्भर करता है सामान्य तौर पर तनाव की तीन स्थितियां होती है , नोरमल ,माइल्ड और मेजर यदि व्यक्ति मे सामान्य और माइल्ड तो उसे किसी भी साईक्लोजिस्ट को दिखाना चाहिए ताकि उसे बहुत सी मनोवैज्ञानिक थेरेपी के द्वारा ठीक किया जा सके और यदि व्यक्ति को मेजर स्थिति में साईकेटीरिस्ट को दिखाना चाहिए ताकि उन्हे साइकोथेरेपी के साथ -साथ उसे दवाईयां भी दी जा सकती है ये दवाएं दो से छह माह या कभी कभी किन्ही विशेष स्थितीयों मे तीन से पांच वर्ष तक साइकेटिरिस्ट की देखरेख मे दी जाती है ।।
आज की परिस्थितियों के संदर्भ मे तनाव से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि वह अपने दिन की शुरुआत सकारात्मक माहोल मे करे , नकारात्मक माहौल या उस स्थान से walk out करे , मनपसंद संगीत सुने ,जिन लोगों से बात करके मन को हल्का महसूस करता है उनसे बात करे,अच्छी पुस्तके पढे ,और सबसे जरूरी बात टेलीविजन कम से कम देखे ।
इसके अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति को कुछ मनोवैज्ञानिक जानकारी चाहिए तो वे सम्पर्क कर सकते है।
डा. द्वारका प्रसाद बुनकर ( मनोवैज्ञानिक सलाहकार )