बोलों कब हुंकार भरोगे...!

 


 


 


बोलों कब हुंकार भरोगे...


 


बोलो कब हुंकार भरोगे....।
कब जड़ता पर वार करोगे॥


स्वाभिमान का भाव
क्यों नहीं तुम्हारे मन में है।
क्या मेरूदण्ड का वजूद
नहीं तुम्हारे तन में है॥
अपनी शक्ति-साहस पर
कब तुम विचार करोगे।
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


आखिर कब तक तुम 
जहर घूंट का पीते रहोगे।
जिल्लत से भरी जिन्दगी
कब तक तुम जीते रहोगे॥
उठो लड़ो करो मुकाबला
कब तक अत्याचार सहोगे।
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


मौन तोड़कर अपना तुम
बोलो कब सवाल करोगे।
तुम अपने अस्तित्व को
बोलो कब बहाल करोगे॥
तुम भी जुबान रखते मुंह में
सच को कब स्वीकार करोगे।
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


रूढ़ियों के जाल में
कब तक तुम जकड़े रहोगे।
अंधविश्वासों को तुम
कब तक यों ही पकड़े रहोगे॥
शोषण के इन षड़्यंत्रों पर
बोलो कब प्रहार करोगे।
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


कब तक खोने का भय
यों मन में समाया रहेगा।
नैराश्य का अंधियारा
कब तक यों छाया रहेगा॥
ज्ञान का दीप जलाकर 
कब दूर अंधकार करोगे।
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


भाग्य के भरोसे तुम 
कब तब यों ही बैठे रहोगे। 
कर्मकाण्ड की शैय्या पर 
कब तक तुम लेटे रहोगे॥
अवतारों से नहीं उद्धार हुआ 
खुदक़ो कब तैयार करोगे। 
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


संकल्प लेकर कुछ करने का 
पक्का पहले इरादा करो। 
अपनी रेखा बड़ी चाहो तो 
औरों से कुछ ज़्यादा करो॥
कोशिश तत्काल शुरू करो 
क्या मुहूर्त का इन्तज़ार करोगे। 
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


एक एक से मिलकर तुम 
ग्यारह की ताक़त पाओगे। 
बिना मिले कमज़ोर अकेले 
यों ही मारे जाओगे॥
बिखरे बिखरे रहके कब तक 
शक्ति को बेकार करोगे। 
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


आजाद देश के बाशिन्दे
तुम भी इक इन्सान हो।
अपनी ताकत अपने हक से
क्यों अब तक अनजान हो॥
संगठित हो संघर्ष करो तो
शीर्ष पर अधिकार करोगे।
बोलो कब हुंकार भरोगे
कब जड़ता पर वार करोगे॥


 


-अनजाना


 


फोटों गुगल से साभार