आप हिंदू है मुस्लिम है जैन है सिख है ईसाई है बौद्ध है पारसी है इससे हमें कोई मतलब नही। संविधान सबको अपने धर्म के अनुसार पूजा रितिरिवाज कर्मकाण्ड करने की इजाजत देता है भारत में किसी राज्य का अपना कोई धर्म नही है हर राज्य में सभी धर्मो के लोग रहते है इसीलिए ये हमारा देश सेकुलर देश है यहां गंगा जमुना तहजीब है। हमें किसी धर्म से कोई एतराज नही है। न ही किसी धर्म के मानने वालों से कोई एतराज है। हम उस हरेक मनुष्य को इज्जत मान सम्मान देता हूं जो समानता की बात करता है स्वतंत्रता की बात करता है बंधुत्व की बात करता है न्याय की बात करता है। जो करूणा का भाव रखता जो शील सदाचार का पालन करता है जिसमें समस्त लोगो के प्रति मैत्रीभाव है। हम भारत सहित पूरे विश्व को परिवार मानता हूं हमारे बहुत से ब्राह्मण मित्र है इसके अलावा भारत में बहुत से ऐसे ब्राह्मण से जो समानता स्वतंत्रता भाईचारा और न्याय के पक्ष में खड़े होते है।
ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद में बहुत अंतर है ब्राह्मणवाद एक सोच है और ब्राह्मणवादी सोच से सभी धर्म ग्रसित है। सभी जातियां ग्रसित है। ये ब्राह्मण केवल ब्राह्मण में ही नहीं है। ये हमारे और तुम्हारे घरों मे भी है हमें ब्राह्मणवाद को समाप्त करना चाहिये ब्राह्मण हमारा शत्रु नही मित्र है जबकि
ब्राह्मणवादी सोच हमारी शत्रु है। भारत में कोई एक धर्म स्थापित नही हो सकता है। अगर जिस दिन एक धर्म स्थापित होता है फिर भारत लोकतांत्रिक देश नही रह जायेगा। हमें नफरत भरी बाते त्यागनी होंगी आप अपनें हक और अधिकारों के लिये संघर्ष जारी रखियें पर आपका तरिका संवैधानिक होना चाहिये अगर संविधान हरेक नागरिक को मौलिक अधिकार देता है तो संविधान आपको मौलिक कर्तव्यों से भी आपको जोड़ता है। इसलिये भारत को तोड़ना नही जोड़ना है। समता स्वतंत्रता बंधुत्व और न्याय जैसे महान मानवीय मूल्यों को तभी बचाया जा सकता है जब हम संविधान में दिये मौलिक कर्तव्यों को समझे उन्हे धरातल पर उतारें। हम अपनी जुम्मेवारी से बच नही सकते है। आप बहुजन समाज के महापुरूषो पढ़िये उनके अंदर किसी भी धर्म सम्प्रदाय जाति के प्रतिद्ववेष भावना नही थी सबको मानवता का संदेश दिया और अमानविय विचारों का डटकर विरोध किया हमें भी उन्ही के बताये हुए मार्ग का अनुसरण करना होगा नही तो हमारे हाथ से सबकुछ फिसल जायेगा। मेरे भाई शत्रु की पहचान जाति के चश्में से देखकर नही कर सकते हो सकता है शत्रु तुम्हारा घर का ही हो क्योकि व्यक्तिगत शत्रु से ज्यादा खतरनांक वैचारिक सांस्कृतिक राजनैतिक शत्रु होता है। व्यक्तिगत शत्रु से आप सावधान रह सकते है लेकिन वैचारिक शत्रु कभी भी हमला कर सकता है। अगर आप वैचारिक सांसकृतिक राजनैतिक शत्रु को नही पहचानते है तो आप साक्षर हो सकते है शिक्षित नही। समझने का प्रयास करे और सबके प्रति मैत्री भाव रखें ।