अम्बेडकर मूवमेन्ट के लिए बड़ा खतरा भौतिकी में कार्य कारण का सूत्र-हर कार्य के पीछे कोई खास कारण अवष्य होता है या बिना कारण के कोई कार्य उत्पन्न नहीं होता, इसे प्रतिपादित करने का श्रेय वैज्ञानिक न्यूटन को दिया जाता है। दिया भी जाना चाहिए क्योकि 18वीं सदी से तो दुनियां को उन्होने ही इस ज्ञान से अवगत करवाया है। किन्तु हमें यह भी स्मरण रहना चाहिए कि दुनियां के पहले महानतम् वैज्ञानिक तथागत गौतम बुद्ध ने कार्य-कारण की इस मौलिक अवधारणा को ढ़ाई हजार वर्ष पूर्व ही प्रतिपादित कर दिया था।
बुद्ध ने अपने परम् सत्य के ज्ञान को तथ्यात्मकता के साथ प्रस्तुत कर उद्घोषित किया था कि हर घटना-परिघटना तथा हर दुःख के पीछे कोई खास कारण अवश्य होता है। बिना कारण के कोई कार्य घटित ही नहीं होता है। दुःख का अन्त उसके पीछे के कारणां का अन्त करके ही किया जा सकता है। यदि दुःख के कारणों का निवारण नहीं किया जाता है तो दुःख भी कारणों की विद्यमानता तक अवश्य बरकरार रहेंगे। प्रकृति परिवर्तनशीलता के मौलिक सिद्धान्त पर स्वयं गतिमान (खुदरत) है। इसे न कोई संचालित करता है न कोई नियन्त्रित सकता है और न ही कोई इसकी गति को प्रभावित करता है। यह न जन्मति है न मरती है। परन्तु हर क्षण-प्रतिक्षण परिवर्तित रहना इसका शास्वत स्वभाव है। यह हर
जीव-जन्तु, पेड़-पौधों का जीवन चक्र निर्धारित करती है। इसका यह एकाधिकार है। जिन्होने स्वयं को इस सत्य से विपरीत ईश्वर भगवान या अवतार कहां या सृष्टि के निर्माता कहां, उन्हे भी इसने उनकी ओकात दिखाई है। सब प्रकृति के नियमों से जन्मते
छद्म अम्बेडकरवादी