गाली बाजी तो मिशन नहीं


सोशल मीडिया एक दिन इस देश में गृह युद्ध करवा कर मानेगा,यह तय हो चुका है।इस आग में  घी डालने का काम गालीबाज मिशनरी कर रहे हैं,जिनको अपने अवगुण नहीं दिखते,अपने भीतर की बुराइयां नहीं नजर आती,वे अपनी कमजोरियों को दूसरों पर थोप कर खुद को बरी कर लेते हैं।हर जाति में,हरेक धर्म मे,हर विचारधारा और हरेक संगठन में कट्टरपंथी विचारों के लोग बढ़ते जा रहे हैं।


सृजनात्मक काम करने का धैर्य और साहस किसी में नहीं बचा है,शोर गुल बहुत हावी है,लोग ध्वंस पर उतारू है।एक प्रतीक को गरिया कर दूसरे प्रतीक की पूजा करने की प्रवृत्ति इन दिनों चरम पर है,तुम्हारा खराब,हमारा सही,तुम झूठे,हम सत्यवादी।बस ऐसा ही हो गया है।


जगह जगह पर युवाओं पर एक दूसरे समुदाय के प्रति अपमान जनक टिप्पणी करने अथवा भावनाओ को ठेस पहुंचाने के मामले दर्ज हो रहे हैं, इससे नव जवानों का भविष्य बर्बाद हो रहा है।


2 अक्टूबर को गांधी को गालियां दी गई, गोडसे को ट्रेंड कराया गया,कुछ ने अपनी बंदूक भगत सिंह के कंधे पर रखी ,तो कुछ ने बाबा साहब अम्बेडकर को जरिया बनाया,कुछ तो गोडसे के  वंशज ही बन गये। बस गाली देनी थी,सो दे दी।


एक और चलन दिख रहा है,एक ही दौर या किताब के दो पात्रों में से एक को नायक मानना और दूसरे को मिथ ठहराना।जैसे कि शम्बूक नायक है ,पर राम मिथ,एकलव्य नायक है,पर अर्जुन व महाभारत मिथ, महिषासुर नायक और दुर्गा मिथ।अजीब मुर्खता है,या तो दोनों सच होंगे या फिर दोनों ही मिथ,एक सत्य और दूसरा कल्पना,यह कैसे संभव है ?


कुछ संगठन इसी काम में बरसों से लगे हैं,वे डॉ अम्बेडकर के अनुयायी होने का दावा तो करते हैं,पर उनके लिखे संविधान को नहीं मानते,अम्बेडकर और जय भीम उनके लिए उपयोग की वस्तु भर है,चंदा कमाने का जरिया मात्र,वरना एजेंडा तो इनका कुछ और ही है।


ये संस्थाएं और इनके रहबर कुछ लोगों और जातियों व धर्मों को टारगेट करके रात दिन उनको कोसते रहते है,इन गाली बाजों ने निरन्तर प्रयासों से  अपनी ही तरह के लाखों गाली बाज़ तैयार कर लिए है,किसी और ही दुनिया में इनका निवास है,इनको गलतफहमी है कि एक दिन ये उनकी दुश्मन जातियों को इस देश से निकाल कर यूरोप भेज देंगे,फिर बचे खुचे लोगों पर ये शासन करेंगे,हुक्मरान बनेंगे।


इन गाली बाजों के पास गिनती के 15 भाषण है,जिनको इनके राष्ट्रीय अध्यक्षों से लेकर जिलाध्यक्ष तक मशीन की तरह दोहराते हैं, इनको आतंकी संगठनों की तरह ब्रेनवॉश करने व लोगों में कट्टरता भरने में महारथ हासिल हो चुकी है।


इनके नेता देश और विदेशों में मौज से रहते है ,इनको कोई कमी नहीं होती है,इनके खिलाफ केस भी नही होते हैं,मरते सामान्य लोग है,इनके चक्कर में आकर युवा अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं।


आज ही दो जगह से फोन मिले, एक उदयपुरवाटी इलाके से और एक भीलवाडा से। एक जगह के दलित युवाओं ने नवरात्रि के मौके पर देवी को लेकर टिप्पणी की ,जिससे उन पर आईटी एक्ट और धार्मिक भावनाएं भड़काने जैसी धाराओं में केस दर्ज हुआ है,एक युवा को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है,दूसरा फरार है,उसे पकड़ने का दबाव बनाने को लेकर लोग रास्ता जाम किये हुए है।


दूसरे मामले में भीलवाडा जिले के किसी दलित युवा में अपनी फेसबुक पर लिखा बताया कि -'चमार में वह ताकत है कि वह ब्राह्मणवाद को खत्म कर सकता है'.इसकी प्रतिक्रिया में उक्त गांव के ही किसी सवर्ण युवा ने बेहद अपमानजनक शब्दों में जवाबी पोस्ट लिखी है,जिसमें भीमटे, एमसी, बीसी सहित भयानक गालियां लिखी गई है,ग्रामीणों को यह अपमान बर्दाश्त भी नही है पर कार्यवाही के लिए आगे भी आने को इच्छुक नहीं हैं।


इस संबंध में मेरा मत साफ है ,मैं किसी की भी भावना को आहत करने को असंवैधानिक मानता हूँ, मुझे किसी को नहीं मानना है तो संविधान मुझे नास्तिक हो जाने का अधिकार देता है,पर मुझे किसी की आस्था का मखौल उड़ाने का हक़ संविधान नहीं देता। 


अगर किसी को पेड़ में,नदी में,जानवर में,गौबर में,विधवा में,बुजुर्ग में या पहाड़ में ,मन्दिर में,मस्ज़िद में,गुरुद्वारे अथवा मजार या समाधि में ईश्वर दिखता है या अपनी मुक्ति दिखती है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है,मेरी आस्था नहीं है,मैं नही जाता,पर किसी को गाली देकर अपना टाइम और ऊर्जा भी नष्ट नहीं करता।मेरे पास करने के लिए बहुत काम है।
 
मेरा तो यह भी मानना है कि सबसे अपने भीतर के ब्राह्मणवाद से लड़ने की जरूरत है,खुद उससे बाहर आने की जरूरत है,फिर परिवार व समाज और अन्यों को उससे मुक्ति दिलाने की बात सोची जा सकती है।


जो सोशल मीडिया पर ब्राह्मणवाद को खत्म करने के दावे करते हुए बड़ी बड़ी पोस्टें लिख रहे है,वे ही मौका मिलते ही कहीं न कहीं नतमस्तक नजर आते है,हिन्दू धर्म की विडंबनाओं पर पुस्तकें रचने वाले महान विचारक खोले के हनुमानजी में परसादी करते हैं और मिशन मिशन करने वाले मूर्तियों तले लंबलेट नजर आते हैं।घरों में करवाचौथ के व्रत चल रहे हैं,माता पिता दुर्गा पंडाल से लौट रहे है और बेटे दुर्गा को मिथक बताने वाली पोस्ट लिख रहे हैं।यह हिप्पोक्रेसी है,दोगलापन यही है,इससे मुक्ति के लिए किसी को गाली देने की जरूरत नहीं हैं।


मैं पूछता हूँ कि कांवड़ यात्रा के लिए कोई बंदूक की नोंक पर ले जाता है,रामदेवरा पदयात्रा के लिए कोई जान से मारने की धमकी देकर तैयार करता है क्या ?तमाम माताजी,भैरूजी,राडाजी, दाना जी के चबूतरों पर पूजा पाठ, भजन कीर्तन,सत्संग के लिए सिर पर लाठी या गले पर चाकू रखकर कोई मजबूर कर रहा है क्या,समझ गए हो तो छोड़ दो,अपना नया रास्ता तय करो।


विगत सालों में दर्जनों लोग भावनाएं आहत करने और सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए द्वेष फैलाने के आरोप में,आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार हुए और जेल गये हैं।


सोचने वाली बात यह भी है कि इनको गाली बाज़ी सिखाने वाली झंडू बाम टाईप की संस्थाएं और सेनाएं तथा आर्मीयां जब लोग फंस जाते हैं तो गधे के सिर पर सिंग की तरह गायब हो जाती है,घर वाले और मित्रों को यह लड़ाई लड़नी पड़ती है।


कट्टरपंथी संगठन अपना दूसरा शिकार ढूंढ लेते है ,उनको दूसरे गाली बाज़ मिल जाते है,वे उनको बाबा साहब,मान्यवर,बहुजन महापुरुषों और मिशन का वास्ता देकर बरगलाने लगते हैं,जब तक हकीकत समझ आती है,तब तक कुछ केस दर्ज हो चुके होते हैं,मेरा बहुजन युवाओं से आग्रह है कि वक्त बहुत नाजुक है,अपनी शिक्षा और कैरियर पर ध्यान दें,खुद का और परिवार का भविष्य बचाएं,ये गालीबाज तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे,बर्बाद कर देंगे।


अपने नेताओं की नहीं संविधान की मानें,बाबा साहब,बुद्ध,कबीर के बताये पथ पर चलें, न कि इन नकचढ़े,निराश,परपीड़क,गालीबाज रहनुमाओं के चक्कर में आ कर असंवैधानिक व गैर कानूनी हरकतें करें।


यह देश सबका है,यह संविधान सबका है,सिर्फ आपके हमारे बाप का नहीं हैं, सब यहाँ के लोग है,वे आर्य हों,अनार्य हो,शक,हूण, कुषाण, मंगोलियन ,कॉकेशियन हो,मुगल,तुर्क,पठान,यवन,मुसलमान अथवा ख्रिस्ती कुछ भी हो,सब इस देश के सम्मानित नागरिक है,सबको समान अधिकार प्राप्त है,कोई किसी से  कम नहीं है।


किसी को उसकी जाति, वंश,मूलनिवास ,रंग,धर्म,पंथ व लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है,कोई अब बाहरी नहीं है,कोई मूलनिवासी नहीं है,कोई ऊंचा नहीं है,कोई नीचा नहीं है,किसी का कोई भी डीएनए हो,कोई कहीं का हो,अगर उसके पास भारत की नागरिकता है तो उसका कोई भी कुछ भी नहीं उखाड़ सकता है।


देश से बाहर भेजना तो बहुत दूर मोहल्ले से बाहर नहीं निकाल सकता है,कानून इसकी इजाजत नहीं देता,संविधान किसी भी किस्म की नफरत फैलाने वाली,जातीय घृणा व द्वेष फैलाने वाली विचार धारा के पक्ष में नहीं है,पर दुःखद सत्य यह है कि संविधान निर्माता की औलाद होने का दावा करने वाले लोग ही इस तरह के भ्रम व द्वेष फैला कर मिशन के नाम पर दलित बहुजन समाज की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने पर तुले हुए हुये।


इनसे सेफ रहने की जरूरत है,इस देश में सब धर्मों,सब जातियों,सब विचारों,सब रंगों ,सब नस्लों के लोग रहेंगे,कोई किसी को अफ्रीका, थाईलैंड अथवा यूरेशिया नहीं भेज सकता है,डीएनए सबका भिन्न है,मूलनिवासी सिद्धांत की बात करने वाले बड़े नेताओं का व्यक्तिगत डीएनए किसी ब्राह्मण ,बनिया अथवा राजपूत या मुगल,पठान से मिल सकता है ! फिर क्या ये लोग विदेश जायेंगे ?


ये राजनीतिक समीकरण है,कोई भी सिद्धान्त जो इंसानियत का विरोधी है,वह अमान्य है,वह घृणित सोच पर आधारित है,जातीय दम्भ और जातीय घृणा दोनों ही खराब है,इन चालाक, धूर्त,चंदाखोर,धंधेबाज लोगों से युवा पीढ़ी को बचाना बहुत जरूरी है।वरना हमारे होनहार युवा केसों में फंसेंगे और अपनी जवानी थाना,कोर्ट,जेल में बर्बाद करते रहेंगे।


सीधी सट्ट बात यह है कि जिस गांव नहीं जाना,उसका रास्ता भी नहीं पूछना,हमें क्या मतलब कोई किसको माने, कोई राम कहे या कृष्ण कहे,कोई दुर्गा माई का पांडाल सजाये,किसी की आस्था कृष्ण में हो,किसी को शिव का स्वरूप पसंद आ जाये,जिसको जो अच्छा लगे,उसको करने दीजिए,अपने आप भी ध्यान दीजिए,अपने को इन पचड़ों में नहीं पड़ना है,हमारा रास्ता बुद्ध,कबीर,रविदास,अम्बेडकर से होकर गुजरता है,हमें अपना भविष्य सोचना है,दूसरों को गाली देकर,दूसरों को दोषी कह कर हम अपना और अपने समाज का कभी भला नहीं कर पायेंगे।


कृपया गालीबाज लोगों,संगठनों और विचारधाराओं से दूर रहें,बाकी आपका जीवन है,आपको जो उचित लगे,करते रहें,यात्री अपने आप की सुरक्षा स्वयं करें,यह वैधानिक चेतावनी है,मानना या न मानना आप पर निर्भर है।


सबका मंगल हो !


(लेखक शून्यकाल डॉटकॉम के संपादक है )